कारगिल शहीदों की याद में पौधरोपण,शहीद धाम की स्थापना को भूली सरकार

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देहरादून:शहीदों की चिंताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशाँ होगा “ यह शेर आज कोरोना काल में जब फलीभूत होना संभव नहीं है तो हमारा फ़र्ज़ है कि शहीदों की यादों को अक्षणु रखने के लिए उनकी स्मृति में पौधे रोपे जो आने वाली पीढ़ियों को देश प्रेम और देश पर कुर्बान होने की प्रेरणा देते रहें यह बात आज जीएमएस रोड अंकित पुरम में कारगिल शहीदों की स्मृति में आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि अपने संबोधन में कही। उन्होंने कहा कि देश के शहीद अमर होते हैं और उनकी स्मृतियां पूरे देश की धरोहर होती हैं न की किसी पार्टी या धर्म या जाति विशेष की । उन्होंने कहा कि 2019 के लोक सभा चुनावों में उत्तराखंड में सैन्य धाम बनाने की बात हुई थी जिसे फिलहाल भुला दिया गया है और फिर 2022 या 2024 में चुनावों के वक्त वो फिर याद आ जाये। कारगिल शहीदों को नमन करते हुए सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि 1999 के वो दिन आज भी स्मृतियों में जब ताज़ा होते हैं जब उत्तराखंड में पहला शव शहीद मेख गुरुंग का देहरादून पहुंचा था और उसके बाद एक के बाद एक देहरादून में ही दो दर्जन शहीदों के शव आये थे तो शरीर के रौंगटे खड़े हो जाते हैं । कार्यक्रम में पौधरोपण के साथ श्री धस्माना ने सभी कालोनी वासियों को देवभूमि मानव संसाधन विकास ट्रस्ट की ओर से मास्क ग्लव्स व सैनिटाइजर भेंट किये। इस अवसर पर दो मिनट का मौन रख कर कारगिल शहीद समेत देश के सभी महान शहीदों को श्राद्धाजंलि अर्पित की गई।

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