कोरोना के कारण हरिद्वार के तीन प्रमुख श्मशान घाटों पर रोजाना 100 से ज्यादा चिताएं जल रही ,खड़खड़ी श्मशान घाट पर विधुत शव दाह ग्रह के हालात बदतर

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शोभित वर्मा
हरिद्वार
के तीन प्रमुख श्मशान घाटों पर रोजाना 100 से ज्यादा चिताएं जल रही हैं. आलम यह है कि जगह कम पड़ने के कारण श्मशान घाटों के अलावा दूसरे घाटों पर भी अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

कोरोना महामारी में मौतों का आंकड़ा बढ़ गया है. देश में चारों तरफ कोरोना के कारण हो रहीं मौतों का शोर सुनाई दे रहा है.इसका असर हरिद्वार में अब यहां के श्मशान घाटों पर भी दिख रहा है. हरिद्वार के तीन प्रमुख श्मशान घाटों पर रोजाना 100 से ज्यादा चिताएं जल रही हैं. आलम यह है कि जगह कम पड़ने के कारण श्मशान घाटों के अलावा दूसरे घाटों पर भी अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

श्मशान घाट के संसाधन कम पड़ने लगे

हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर हालात बदतर हैं. यहां रोजाना 50-60 शव अंतिम संस्कार के लिए लाए जा रहे हैं. इतनी ज्यादा संख्या में शवों का अंतिम संस्कार होने से श्मशान घाट के संसाधन भी कम पड़ रहे हैं. श्मशान घाट का संचालन करने वाली समिति के कर्मचारी गोपाल सिंह का कहना है कि हालात मुश्किल भरे हैं लेकिन शवों का अंतिम संस्कार हर हाल में किया जा रहा है.
इस वक्त कोरोना संक्रमण का खतरा चारों तरफ बना हुआ है. ऐसे में जिन लोगों की कोरोना से मौत हो रही है उनका अंतिम संस्कार तो कोरोना गाइडलाइंस के मुताबिक किया ही जा रहा है, लेकिन अन्य कारणों से होने वाली मौतों के अंतिम संस्कार के लिए भी लोग पीपीई किट पहनकर पहुंच रहे हैं. और काफी एहतियात के साथ अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं.

वही हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर पिछले लगभग 25 सालों से विद्युत शवदाह गृह खराब पड़ा हुआ है आलम यह है खड़खड़ी शमशान घाट सेवा समिति कई बार अधिकारियों तक जाकर इसको ठीक कराने की मांग कर चुकी है मगर अधिकारियों के आश्वासन के सिवा आज तक विद्युत शवदाह गृह ठीक नहीं हो पाया खड़खड़ी श्मशान घाट सेवा समिति के कार्यकर्ता दुर्गेश पंजवानी का कहना है कि पिछले कई सालों से उनकी समिति अधिकारियों के चक्कर काट रही है मगर आज तक खड़खड़ी श्मशान घाट पर 25 साल पहले स्थापित किया गया विद्युत शवदाह गृह खराब पड़ा हुआ है दुर्गेश पंजवानी का यह भी कहना है लकड़ी द्वारा एक शव का दाह संस्कार करने में लगभग ₹2500 का खर्चा आता है और पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है जंगलों से काटकर लकड़ियां भी श्मशान घाटों पर लाई जाती हैं वही विद्युत शवदाह गृह मैं दाह संस्कार किया जाए तो एक शव के दाह संस्कार में लगभग ₹500 की विद्युत लगती है और लगभग 1 घंटे में शव की अस्थियां बन जाती है दुर्गेश पंजवानी का यह भी कहना है शासन प्रशासन विद्युत शव दाह ग्रह को ठीक करा दे तो इससे पर्यावरण को हो रहा नुकसान भी कम होगा साथ ही हमारे जंगलों में भी लकड़ी कटान पर रोक लगेगी और ज्यादा से ज्यादा शव का संस्कार भी विद्युत शवदाह गृह में किया जा सकेगा
अब देखने वाली बात यह है कि बदहाल पड़ा खड़खड़ी श्मशान घाट पर विद्युत शवदाह गृह कब तक ठीक हो पाता है या फिर समिति अधिकारियों के यूं ही चक्कर काटती रहेगी

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